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baujh kabhee ek bojh nahin hota बौझ कभी एक बोझ नहीं होता

 बौझ कभी एक बोझ नहीं होता

 एक समय की बात है, एक छोटे से गांव में राम नाम का एक किसान रहता था। वह रोज़ाना मेहनत करता था और अपने परिवार को पालने के लिए अधिकतम प्रयास करता था।

एक दिन, जब वह अपनी खेतों में काम कर रहा था, उसने अपनी जमीन के कोने में एक अजीब सी जड़ी बूटी देखी।

baujh kabhee ek bojh nahin hota


राम ने कभी ऐसी जड़ी बूटी नहीं देखी थी, इसलिए उसने इसे और देखने का फैसला किया। जैसे ही वह नजदीक आया, उसने देखा कि इस बूटी पर एक छोटी सी फली लगी हुई है, जो चमक रही थी।

अचानक, फली फटते हुए खुल गई और उससे एक तेज रोशनी निकली। राम उस तेज रोशनी को देखते ही चकित हो गया। चारों ओर अंधेरा हो गया और एक छोटी सी जानवर उस फली से निकलकर उसकी तरफ देखती हुई थी।

राम को जो दृश्य देखने को मिला, उससे वह संशय में पड़ गया था। उसने जानवर को अपने साथ घर ले जाकर देखने का फैसला किया। वह चाहता था कि जब तक वह उस जानवर के बारे में जान पा लेता है, तब तक उसे अपने साथ रखे।

जब राम ने घर जाकर जानवर को अपने हाथों से पूछा, तो उसे पता चला कि यह जानवर एक बौझ था। यह एक बहुत भारी जानवर था, जिसे उसके पैरों पर नहीं खड़ा होने में मुश्किल होती थी।

राम को अपने साथ इस जानवर को रखने से पहले काफी सोच-विचार करना पड़ा। लेकिन फिर उसने सोचा कि अगर वह इस जानवर को रखेगा, तो शायद इससे भी बड़ा बौझ उसकी जिंदगी में कभी नहीं आएगा।

राम ने इस बौझ के बारे में सोचा और उसे छोड़ दिया। उसने इस बौझ को उसी जगह पर छोड़ दिया, जहां वह उसे मिला था। राम जानता था कि यह जानवर जिस बौझ से लड़ रहा था, उसी बौझ से वह आगे बढ़ सकता है।

उस दिन के बाद, राम ने अपनी जिंदगी में कई और बौझ छोड़े। वह समझता था कि जितना कम बौझ उसकी जिंदगी में होंगे, उसकी जिंदगी उतनी ही आसान होगी। वह जानता था कि बौझ उसे सिर्फ बोझ नहीं देते बल्कि उसे जीवन में आगे बढ़ने का साहस देते हैं।

राम का यह नया सोचने का तरीका बदल गया था। वह अब नहीं सोचता था कि जीवन में बहुत से बोझ हैं। बल्कि वह अपनी जिंदगी में जिस चीज को बोझ महसूस करता था, उससे छुटकारा पाने की कोशिश करता था।

उसे पता था कि जिस तरह से वह अपने जीवन से बौझ को निकालता है, वह लोगों की जिंदगियों से भी उनके बौझों को हटाने में मदद कर सकता है। उसने इसी सोच को लेकर अपनी किताब लिखी जो कि दूसरों को बौझ से मुक्ति दिलाने के लिए संवेदनशील कहानियों से भरी हुई थी।

राम की किताब ने लोगों को जीवन में आगे बढ़ने के लिए प्रेरित किया। लोगों ने उसकी किताब को इतना ध्यान से पढ़ा कि यह बेस्टसेलर किताब बन गई। राम की किताब आज भी लोगों को बौझ से मुक्ति दिलाने में मदद करती है।

आखिरकार, राम ने समझा कि जीवन एक बड़ी लड़ाई है और इसमें बहुत से बौझ होते हैं।

दिन दिन बौझ उसकी गर्दन पर बढ़ता गया। उसे अपने बचपन के दोस्तों से बात करने का वक़्त नहीं मिलता था। वह उनसे अलग हो गया था। सारे दिन वह अपने कमरे में बैठ कर टीवी या फोन पर समय बिताता था। वह अपनी दुनिया में अकेला था। उसे लगता था कि उसकी जिंदगी का सबसे बड़ा बोझ उसी बौझ का है।

एक दिन, उसने एक बुजुर्ग आदमी से मिला। वह आदमी उसे अपने अनुभवों के बारे में बताने लगा। वह उसे बताया कि उसने जीवन में कई बार बड़े-बड़े बोझों का सामना किया है, लेकिन वह हमेशा उन बोझों से जीत गया है।

बुजुर्ग आदमी ने उसे अपने साथ चलने के लिए कहा और उसे एक पर्वत चढ़ने के लिए बुलाया। बड़े पर्वत की ओर बढ़ते हुए, बौझ ने इसे आगे बढ़ाते हुए बताया कि वह इसे नहीं चढ़ सकता। उसे दुर्गंध फैलती थी और उसे लगता था कि उसे यह बढ़ाई मुश्किल लगेगी।

बुजुर्ग आदमी ने उसे बताया कि फिर उसने बौझ को एक छोटे से कपड़े में बांध दिया और उसे अपने कंधों पर उठा लिया। वह दूसरे गांव की ओर चला। रास्ते में बौझ के भार से उसके कंधे दुखने लगे थे, लेकिन वह उसे नहीं छोड़ सकता था।

बड़ी मुश्किल से वह दूसरे गांव पहुंचा। वह उस गांव में रहने वाले एक आदमी से मिला। उसने उसे बताया कि यह बौझ उसका है और वह उसे लेकर अपने घर ले जा रहा है। आदमी ने उसे अपने घर में आने के लिए बुलाया और उसे ठीक ढंग से भोजन दिया।

अगले दिन, वह आदमी उसे लेकर उस गांव में वापस चला गया जहां से वह आया था। वहां पहुंचकर, वह उसे बौझ छोड़ने के लिए कहा। उसने बताया कि उसे बहुत समय लग गया है ताकि वह इसे उसके घर ले जा सके। उसने उसे बताया कि इसे अपने पास रखकर उसका कोई लाभ नहीं है और इसे चले जाने देना बेहतर होगा।

आदमी ने उसे समझाया कि उसे बौझ को छोड़ना होगा। आपकी समस्या बौझ जैसी है, उससे छुटकारा पाने के लिए उसे बदलने की कोशिश कीजिए। शायद आप उसे छोटा भी कर सकें या फिर कुछ दूसरा करने के लिए सहायता ले सकें। जब आप अपनी समस्या के साथ सामना करने लगते हैं, तो उसे हल करने का तरीका भी मिल जाता है। आपकी समस्या बौझ नहीं है, बल्कि एक अवसर है जिससे आप सीख सकते हैं और आगे बढ़ सकते हैं।

शोभा ने इसे सुना और उसे समझा कि अपनी समस्या को हल करने के लिए उसे बदलने की कोशिश करनी चाहिए। उसने अपनी समस्या को छोटा करने के तरीकों को खोजने शुरू किया। वह दिन-रात मेहनत करती रही और अपनी समस्या को हल करने के लिए एक नया तरीका खोज लिया।

शोभा ने अपने काम के बारे में अपने स्टाफ से बात की और उनसे सहायता मांगी। उसने एक नया सिस्टम बनाया जिससे कि उसका काम अधिक समय में हो सके और उसे समय भी मिल जाए।

फिर श्रीमती ने सुशील को बताया कि उसने सबकुछ समझ लिया है। उसे उन लोगों से दोस्ती करने की आवश्यकता है जो उसे पागल समझते हैं। वह उन्हें अपनी सच्ची और संवेदनशील मित्रता दिखाएगा जो उन्हें एक सफल इंसान बनाएगी। फिर उन्होंने दोनों एक दूसरे के हाथ थामे और घर जाने के लिए निकल दिए।

सुशील और श्रीमती अपने घर आए और उन्होंने अपने बेटे से समझाया कि हर इंसान अदब से संभालता है। उसे बताया कि अगर उसके साथ कोई अन्याय होता है तो उसे उसे संभालना चाहिए। सुशील ने इससे बहुत कुछ सीखा और उसे उस दिन से एक संभावित और समझदार इंसान बनने की शुरुआत हुई।

बौझ कभी एक बोझ नहीं होता। यह एक सीख है जो हमें हमेशा याद रखनी चाहिए। हमें हमेशा उन लोगों की मदद करनी चाहिए जो हमें असमंजस में देखते हैं और हमें उन्हें अपने सही रास्ते पर ले जाना चाहिए। यह हमेशा एक सफल और संतुष्ट जीवन के लिए महत्वपूर्ण होता है

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